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Sanichari Amavasya: शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालुओं को स्नान कराना प्रशासन के लिए चुनौती, गंदे पानी में स्नान कराने से हो गया था कलेक्टर का तबादला

Sanichari Amavasya: उज्जैन। शिप्रा नदी में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु स्नान करते हैं। पर्व और त्यौहारों के दौरान इनकी संख्या लाखों में पहुंचती है।
07:54 PM Mar 14, 2025 IST | Amit Jha

Sanichari Amavasya: उज्जैन। शिप्रा नदी में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु स्नान करते हैं। पर्व और त्यौहारों के दौरान इनकी संख्या लाखों में पहुंचती है। नदी में फिलहाल दूषित पानी स्टोर है। इसी माह शनिश्चरी अमावस्या का पर्व स्नान होने वाला है। शिप्रा नदी में साफ पानी स्टोर कर लोगों को स्नान (Sanichari Amavasya) कराना प्रशासन के लिए चुनौती से कम नहीं है। त्रिवेणी स्थित शनि की मंदिर पर शनिश्चरी अमावस्या के स्नान का महत्व है।

प्रशासन के लिए चुनौती

इस दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पहुंचकर स्नान के साथ शनिदेव के दर्शन, पूजन कर दान आदि कार्य करते हैं। वर्तमान में त्रिवेणी घाट पर कान्ह का पानी स्टोर है। यहां जल संसाधन विभाग ने बीच नदी में पाइप लगाकर मिट्टी का स्टॉपडेम बनाया है। पाइप से कान्ह का दूषित पानी शिप्रा में लगातार मिल रहा है। अफसरों को कान्ह के पानी को रोकना और उसके बाद नदी में स्टोर दूषित पानी को आगे बहाना व अंत में पाइप लाइन के माध्यम से हरियाखेड़ी स्थित नागफनी तक नर्मदा का साफ पानी लाकर त्रिवेणी घाट पर स्टोर करना किसी चुनौती से कम नहीं है।

शिवरात्रि पर लिया था पानी

पीएचई अफसर बताते हैं कि शिवरात्रि महापर्व पर शिप्रा नदी में स्नान के लिए नर्मदा का पानी लिया था। यह बात अलग है कि गऊघाट से लेकर लालपुल तक शिप्रा नदी में कान्ह का दूषित पानी स्टोर है। यहां पुल निर्माण के कारण मिट्टी का स्टापडेम बना है। इसके आगे भूखी माता, नृसिंहघाट से रामघाट छोटे पुल तक कान्ह का ही पानी स्टोर है। ऐसे में अफसर किस तरह रामघाट तक नर्मदा का पानी लाए इसका जवाब उनके पास भी नहीं है।

पानी की कीमत लाखों में

शासन ने नर्मदा का पानी शिप्रा नदी में मिलाने के दो रास्ते बनाए गए हैं। पहला रास्ता पाइप लाइन से देवास स्थित शिप्रा तक नर्मदा का पानी लाकर इसे सीधे शिप्रा नदी में बहाया जाता था। दूसरा माध्यम पाइप लाइन है जिसे शिप्रा से हरियाखेड़ी नागफनी तक लाया गया। बाद में त्रिवेणी स्थित (Sanichari Amavasya) आउटलेट तक पाइप लाइन को बढ़ाकर नर्मदा का पानी शिप्रा नदी में मिलाया गया। पाइप लाइन के माध्यम से यदि शिप्रा नदी में नर्मदा का पानी लाते हैं तो इसका भुगतान नर्मदा विकास प्राधिकरण को करना होता है। इसकी लागत लाखों रुपए में होती है।

नई टीम पर जिम्मेदारी

पिछले दिनों शासन ने पीएचई के ईई एन.के. भास्कर का तबादला कर दिया गया। उनके स्थान पर केदार खत्री को ईई का चार्ज सौंपा गया। इनके अलावा 11 नार उपयंत्री भी पीएचई में पदस्थ किए हैं। उक्त लोग अभी शहर में पीएचई की कार्य विधि को समझ रहे हैं। ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या (Sanichari Amavasya) पर हजारों श्रद्धालुओं को त्रिवेणी घाट पर स्नान कराने की जिम्मेदारी भी नई टीम पर है। बता दें कि एक बार तत्कालीन कलेक्टर पर गंदे पानी में लोगों के स्नान से एक्शन हो गया था।

कलेक्टर को पत्र लिखा है

28-29 मार्च को शनिश्चरी अमावस्या है। त्रिवेणी घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करेंगे। त्रिवेणी घाट पर नर्मदा का साफ (Sanichari Amavasya) पानी स्टोर करना है। पीएचई के अधीक्षण यंत्री केदार खत्री इसके लिए कलेक्टर को पत्र लिख चुके हैं। अभी फील्ड विजिट करना बाकी है। मंगलवार को त्रिवेणी पहुंचकर स्थिति देखेंगे। कान्ह के दूषित पानी को कैसे बहाकर नर्मदा का स्वच्छ पानी स्टोर कर सकते हैं इसका निर्णय लिया जाएगा।

(उज्जैन से विश्वास शर्मा की रिपोर्ट)

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