Sawan Somwar 2024: MP का ऐसा गांव जहां हर एक पत्थर में है शिव का वास, गली-गली में शिवलिंग का निर्माण
Narmada Stone Shivling खरगोन: शिव, शंभू, भोले भंडारी, औघड़दानी, भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन आज से शुरू हो गया है। कहते हैं भगवान शिव स्वभाव से ही बहुत भोले हैं। भगवान शिव एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सावन में शिवलिंग की पूजा-आराधना का विशेष महात्म्य है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश के खरगोन में एक ऐसा गांव है, जहां हर एक पत्थर में भगवान शिव का वास है।
नर्मदा के हर पत्थर को कहा जाता है शंकर
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर नर्मदा के तट पर बकावां गांव बसा है। इस गांव में गली-गली में शिवलिंग गढ़े जाते हैं। नर्मदा के पत्थरों को तराश कर उन्हें शिवलिंग की सूरत देने वाले इस काम में एक दो नहीं बल्कि लगभग पूरा गांव ही दिन-रात जुटा है। कहते हैं बकावां गांव कई दशकों से भगवान शिव के भरोसे है। गाव में रह रहे लगभग 100 परिवारों का सहारा शिवलिंग ही है। शिवलिंग निर्माण कर परिवार गुजर-बसर करता है।
बेहद जटिल है शिवलिंग निर्माण की प्रक्रिया
ग्रामीणों के अनुसार शिवलिंग मंदिर ( Narmada Stone Shivling) में स्थापित करने से पहले की प्रक्रिया बेहद जटिल है। लेकिन, जब शिव ही सहारा तो बिना किसी सिकन के ग्रामीण पूरी तन्मयता के साथ शिवलिंग निर्माण में जुटे रहते हैं। सबसे पहले नर्मदा तट से सटे तटीय इलाकों से बड़े-बड़े पत्थर निकाले जाते हैं। उन पत्थरों को नाव में रखकर अपने घरों तरफ लाया जाता है। वहां पर उस शिवलिंग को तराश कर शिवलिंग बनाया जाता है।
कण-कण में शिव
मान्यता है कि नर्मदा का हर कंकर भगवान शंकर के समान है। इस मान्यता को बकावां के लोगों ने सार्थक कर दिया है। बकावां के रहने वाले लोगों ने पत्थरों पर विशेष कारीगरी कर उन्हें शिवलिंग रूप देते हैं। इस गांव के लोग करीब 150 साल से इस परंपरा और पुश्तैनी कारोबार का निर्वहन करते आ रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, यहां से अहिल्याबाई होलकर ने पहला शिवलिंग बनवाया था। इसके बाद यहां शिवलिंग तराशने का काम शुरू हो गया। धीरे-धीरे ग्रामीणों ने इस काम को व्यवसाय के रूप में स्थापित कर दिया। बदलते समय के साथ अब यहां के शिवलिंग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं।
सालाना 80 लाख से अधिक का कारोबार
ग्रामीणों के अनुसार शिवलिंग निर्माण पर सालाना (Sawan Somwar 2024) टर्नओवर 80 लाख से भी ज्यादा का है। गांव में 1 इंच से 24 फीट तक के शिवलिंग गढ़े जाते हैं। इनकी कीमत 10 रुपए से लेकर 4 लाख रुपए तक है। खरगोन जिले के पत्थरों की खासियत यह है कि कटिंग के बाद शिवलिंगों पर ऊँ, तिलक, सहित अन्य धार्मिक आकृतियां अपने आप ही उभरती हैं। ग्रामीणों के मुताबिक ऊँ आकृति वाला शिवलिंग ऊंचे दामों पर बिकता है।
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