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Seoni Govt School: तेज बारिश के चलते प्लास्टिक वाली पाठशाला में पढ़ रहे हैं बच्चे, जिम्मेदार जानते हुए भी हैं लापरवाह

Seoni Govt School: सिवनी। एक और मध्य प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर नित नए प्रयोग करते हुए प्रदेश भर में कई जगहों पर सीएम राइस स्कूल खोल रही है। इन स्कूलों के लिए करोड़ों रुपए में राशि खर्च कर...
01:06 PM Sep 07, 2024 IST | MP First

Seoni Govt School: सिवनी। एक और मध्य प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर नित नए प्रयोग करते हुए प्रदेश भर में कई जगहों पर सीएम राइस स्कूल खोल रही है। इन स्कूलों के लिए करोड़ों रुपए में राशि खर्च कर बिल्डिंग बनाई जा रही हैं तो वहीं पहले से बने हुए स्कूलों (Seoni Govt School) की स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है परन्तु सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है जिसके कारण बच्चे डर के साए में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।

डिजिटल इंडिया में प्लास्टिक के नीचे बैठ पढ़ रहे हैं बच्चे

देश डिजिटल इंडिया बन गया है और हम चांद पर पहुंचने की बात करने लगे हैं। विकास के बड़े-बड़े वादे किए जा रहे हैं लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजर आता है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। ऐसे में यदि नन्हे-मुन्ने अभी भी प्लास्टिक वाली पाठशाला में पढ़ाई करने को मजबूर हैं तो आप समझ सकते हैं कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार की क्या रणनीति होगी।

दरअसल पूरा मामला सिवनी जिले के छपरा विकासखंड अंतर्गत मसूर भावरी गांव से सामने आया है जहां प्राथमिक स्कूल की छत बारिश के चलते टपक रही है। इस वजह के चलते स्कूल के क्लास रूम के भीतर प्लास्टिक शीट लगा दी गई है। इसके नीचे बैठकर 38 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। वहां मौजूद शिक्षक ने बताया कि स्कूल की स्थिति काफी चिंताजनक है लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में बारिश से बचने के लिए क्लासरूम के भीतर प्लास्टिक लगाई गई है और इसके नीचे स्कूल की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।

डर के साए में बच्चे करते हैं पढ़ाई

बताया जाता है कि यह प्राथमिक स्कूल की छत विगत चार से पांच सालों से जर्जर स्थिति में पड़ी हुई है लेकिन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इस संबंध में स्कूल (Seoni Govt School) में पदस्थ प्रधानाध्यापक एवं अन्य शिक्षकों के द्वारा विधिवत लिखित शिकायत उच्च अधिकारियों से की गई है लेकिन शासन की ओर से आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इसी वजह से स्कूल में आने वाले करीब 38 बच्चे डर के साए में स्कूली शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। स्कूल में वर्ष 2002 से पदस्थ शिक्षिका ने बताया कि ऐसे हालात विगत 4 वर्षों से बने हुए हैं जिसके संदर्भ में उच्च अधिकारियों को अवगत भी कराया गया लेकिन कार्यवाही के नाम पर स्थिति शून्य है। जनपद पंचायत सीईओ राकेश दुबे ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि यदि भवन जर्जर है तो जल्द दिखवाया जाएगा एवं जो भी जल्द से जल्द हो सकेगा, उस पर अमल करने का प्रयास किया जाएगा।

जिला कलेक्टर के आदेशों की हो रही अवहेलना

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक हाल ही कलेक्टर संस्कृति जैन ने बैठक के दौरान समस्त शासकीय अधिकारी कर्मचारियों को निर्देश दिया था कि जिले भर की कोई भी ऐसी शाला जो जर्जर है, उनमें स्कूल संचालित नहीं किया जाएगा। उसके बावजूद यहां पर स्कूल संचालित किया जा रहा है जो कलेक्टर के आदेशों की अवहेलना से है।

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