Shahdol City News: अंधविश्वास के चलते पीलिया का इलाज कराने के बजाय मरीज लगवा रहे हैं झाड़ा
Shahdol City News: शहडोल। आधुनिकता के इस युग में जहां मानव चंद्रमा पर घर बनाने की ओर अग्रसर है, तो वही दूसरी ओर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आज भी लोग अंधविश्वास के फेर में डॉक्टरी इलाज कराने की बजाय झाड़फूक से पीलिया (ज्वाइनडिस) जैसी बीमारी का इलाज करा रहे हैं। ऐसा ही अंधविश्वास का अंधा खेल आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले में देखने को मिल रहा है, जहां दूषित पानी के चलते जिले में फैले पीलिया (ज्वाइनडिस) से ग्रसित लोग इलाज के बजाय झाड़फूक करा रहे हैं। इस घटनाक्रम से पूरे सिस्टम व मेडिकल साइंस का मखौल उड़ रहा है, ऐसी घटनाओं से शासन-प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं।
पीलिया का इलाज कराने के बजाय करा रहे हैं झाड़फूंक
शहडोल जिले के कोयलांचल नगरी धनपुरी में बदले मौसम के चलते अचानक पीलिया (ज्वाइनडिस) तेजी से फैला है। आलम ये है कि धनपुरी नगर के हर दसवें घर में पीलिया के मरीज मिल रहे हैं जिनमें 5 साल से लेकर 15 साल तक की आयु के बच्चे शामिल हैं। ऐसे में पीलिया से ग्रसित लोग इलाज के साथ-साथ झाड़फूंक करा रहे हैं। नगर में ऐसे बहुत से लोग हैं जो मेडिकल इलाज के बजाय झाड़-फूंक में ज्यादा विश्वास कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि गुनिया से झाड़फूंक (Shahdol City News) करा रहे हैं। पीलिया से ग्रसित मरीज के परिजन आनंद बर्मन, लक्ष्मी बर्मन, माया बर्मन, शाहीन आदि का कहना है कि वो इलाज के साथ-साथ पीलिया का झाड़फूंक करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें झाड़फूंक से काफी राहत मिल रही है।
लोगों का मानना है, झाड़े से ठीक होता है पीलिया
पीलिया से पीड़ित लोग अपने घरों से कांसे की थाली, राई का तेल, दूब और चूना लेकर झाड़फूंक कराने जाते हैं। झाड़ा लगाने वाले बाबा जी कांसे की थाली में राई का तेल डालकर दूब से पीलिया को झाड़ते हैं। ऐसा एक सप्ताह तक कराने से पीलिया पूरी तरह से ठीक हो जाता है। शहडोल जिले के धनपुरी निवासी झाड़फूक करने वाले राम मिलन बर्मन व इनके बेटे का मानना है कि पीलिया बहुत हद तक झाड़फूंक से ठीक होता है। हालांकि इसके साथ-साथ डाक्टरी इलाज भी कराना चाहिए।
सीएमएचओ ने कही यह बात
इस पूरे मामले में शहडोल CMHO डॉ. राजेश मिश्रा का कहना है कि पीलिया प्रदूषित जल से फैलने वाली बीमारी है। इसमें डाक्टर की सलाह लेकर इलाज कराए ना कि झाड़फूंक (Shahdol City News) कराए। ये डॉक्टरी इलाज से ठीक होने वाली बीमारी है। म.प्र. बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य मेघा पवार का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। दूषित पानी की वजह से पीलिया से पीड़ित बच्चों की परसेंटेज बढ़ी है। क्षेत्र में झाड़फूंक ज्यादा है। ऐसे में आयोग की तरफ से संबंधित विभाग को निर्देशित करेंगे। विभाग से अनुरोध है कि झाड़फूंक कराने की बजाय स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चो का इलाज कराए।
(शहडोल से इरफान खान की रिपोर्ट)
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