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Shiv Navratri Ujjain: प्रदोष के दिन बाबा महाकाल ने दिए तांडव रूप में दर्शन, जानें पट बंद होने का समय

Shiv Navratri Ujjain: उज्जैन। भगवान महाकाल कालों के काल हैं और आज भगवान शिव का प्रिय दिन प्रदोष का दिन है। प्रदोष के दिन बाबा महाकाल प्रातः काल से उपवास भी रहते हैं। भगवान शिव नृत्य के भी देवता है और...
09:09 PM Feb 25, 2025 IST | Pushpendra

Shiv Navratri Ujjain: उज्जैन। भगवान महाकाल कालों के काल हैं और आज भगवान शिव का प्रिय दिन प्रदोष का दिन है। प्रदोष के दिन बाबा महाकाल प्रातः काल से उपवास भी रहते हैं। भगवान शिव नृत्य के भी देवता है और वह तांडव स्वरूप में आज भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। नृत्य से संबंध तांडव स्वरूप में बाबा महाकाल भक्तों को यह संदेश दे रहे हैं कि किसी भी हाल में रहो मस्त रहो, आनन्द करो।

शिव नवरात्रि पर विशेष दर्शन

महाशिवरात्रि का दस दिवसीय पर्व फाल्गुन मास की पंचमी तिथि से शिव नवरात्र महोत्सव की शुरुआत होती है। प्रथम दिन भगवान वस्त्र धारण करते हैं। दूसरे दिन भगवान महाकाल पर वस्त्र का श्रृंगार किया जाता है। फिर भगवान महाकाल पर वासुकि नाग धारण करवाया जाता है। चौथे दिन शिव अपनी जटाएं खोल देते हैं और उन जटाओं के स्वरूप को घटाटोप का स्वरूप कहते हैं। फिर बाबा का मुखारविंद आता है, जिसे हम छविना कहते हैं। छविना के रूप में दर्शन देने के बाद बाबा महाकाल होलकर राज्य की प्रतीक स्वरूप पगड़ी धारण करते हैं। भक्तों के मन को जो भाले, भक्तों के मन को जो मोह ले वह मन महेश है।

शिव का तांडव स्वरूप में दर्शन

मनमहेश के रूप में दर्शन देने के बाद बाबा भोलेनाथ उमा महेश के रूप में दर्शन देते हैं। भगवान महादेव की गोद में जगत जननी राज राजेश्वरी विराजमान होती हैं। भगवान महाकाल और पार्वती साक्षात श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक हैं। वह भक्तों की श्रद्धा और विश्वास के रूप में उमा महेश स्वरूप का दर्शन देते हैं। इसके बाद भगवान तांडव स्वरूप में दर्शन देते हैं और शिवरात्रि महापर्व पर भगवान महाकाल की पूजा चलती है। सुबह सेहरे के दर्शन देते हैं और उसके बाद बाबा महाकाल की महाआरती होती है। शिवरात्रि महापर्व के कारण वर्ष भर में अलसुबह होने वाली भस्म आरती महाशिवरात्रि के दिन दोपहर में संपन्न होती है।

मंदिर के पट का यह है टाइम

भगवान महाकाल पर सवा मन फूल का सेहरा बनाकर सजाया जाता है। यह फूल बाबा महाकाल को अतिप्रिय होते हैं। फूल प्रकृति का स्वरूप है। प्रकृति स्वरूप में भगवान बाबा महाकाल सेहरे के रूप में दर्शन देते हैं। रात 2:30 बजे से बाबा महाकाल के पट दर्शन हेतु खोल दिए जाएंगे जो दूसरे दिन रात के 11:00 बजे बाबा महाकाल के पट बंद होंगे। इस तरह लगभग 44 - 45 घंटे बाबा महाकाल भक्तों को दर्शन देने के लिए अपने मंदिर के पट खुले रखेंगे।

(उज्जैन से विश्वास शर्मा की रिपोर्ट)

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