Saint Siyaram Baba: किसी चमत्कार से कम नहीं थे संत सियाराम बाबा, 12 वर्ष तक मौन व्रत धारण, भक्तों से स्वीकार करते थे सिर्फ 10 रुपए
Siyaram Baba Passed Away खरगोन: निमाड़ भूमि में अपनी अलग पहचान रखने वाले संत सियाराम बाबा ब्रह्मलीन हो गए हैं। उन्होंने मां नर्मदा तट पर वर्षों से भगवान रामजी के परम सेवक हनुमान जी की भक्ति पूजन एवं नर्मदा मैया के अमृत तुल्य पावन जल से लोगों में भक्ति की अलख जगाया। सियाराम बाबा ने वर्षों से मां नर्मदा के पावन अमृत जल के प्रति लोगों को ज्ञान संदेश देने के साथ इस क्षेत्र को भगवान की भक्ति में लीन रहने के लिए शांति का केंद्र बना दिया। संत श्री सियाराम बाबा ने वर्तमान संतों की धर्म संस्कृति से अलग ईश्वर के प्रमुख प्रधान सेवक के रूप में कार्य किया। यह वजह है कि उनके भक्तों की संख्या बहुत अधिक रही।
सियाराम बाबा का जीवन किसी चमत्कार से कम नहीं
संत सियाराम बाबा का जीवन किसी चमत्कार से कम नहीं है। उनकी अलौकिक तेज और भगवान की भक्ति के कारण उन्हें ईश्वरीय दूत मानकर लोग दूर-दूर से उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेने आते थे। शायद ईश्वरीय प्रकोप के कारण ही 100 साल से अधिक उम्र में उनके चेहरे पर एक अलग तेज था। सियाराम बाबा बिना चश्मे के कई घंटों तक रामायण का पाठ करते थे। हैरानी की बात यह है कि भीषण गर्मी, बरसात या फिर ठंड मौसम चाहे कोई भी हो तन ढकने के लिए बाबा (Saint Siyaram Baba Passed Away) सिर्फ एक लंगोट ही धारण करते थे।
#SiyaramBaba : प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा हुए ब्रह्मलीन, भक्तों से 10 रुपए लेते थे भेंट में
खरगोन जिले के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का देवलोक गमन हो गया है। बाबा ने मोक्षदा एकादशी पर सुबह 6:00 बजे अंतिम सांस ली। बाबा पिछले 10 दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। सियाराम बाबा बिना चश्मे के… pic.twitter.com/DwZ0ai3JaK
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भक्तों से सिर्फ 10 रुपए लेते थे सियाराम बाबा
सबसे बड़ी बात यह है कि धर्म के नाम पर आडंबर से सियाराम बाबा कोसों (Siyaram Baba Passed Away) दूर रहते थे। शायद यही वजह है कि बाबा ने अपने भक्तों से 10 रुपए से अधिक कभी नहीं लिया। मोह-माया से कोसों दूर रहने वाले सियाराम बाबा आश्रम में मिलने आने वाले श्रद्धालुओं से सिर्फ 10 रुपए लेते थे। आश्रम से प्राप्त दान एवं भूमि मुआवजा राशि के रूप में उन्होंने लगभग 2 करोड़ 21 हजार रुपए नागलवाड़ी सिद्ध क्षेत्र बड़े भीलट में मंदिर निर्माण एवं मार्ग निर्माण में दान स्वरूप भेंट किए थे।
बाबा का निमाड़ में आना कि सी उपलब्धि से कम नहीं
संत सियाराम बाबा का आगमन भी एक निमाड़ के खरगोन जिले के साथ कसरावद विकासखण्ड के भट्यान ग्राम के लिए उपलब्धि से कम नहीं है। साथ ही नर्मदा परिक्रमा करने वालों को भी सियाराम बाबा (Miracle of Saint Siyaram Baba) के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता था। गांव के भक्तों एवं सेवकों के अनुसार सियाराम बाबा ने लगभग 17 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया था। करीब 22 वर्ष की उम्र में नर्मदा परिक्रमा पर निकलने के दौरान भट्यान में वर्ष 1955 के दौरान वैराग्य धारण करते नर्मदा तट पर रूक कर शांतिमय स्थान पर अपना निवास बनाया।
प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त, निमाड़ के दिव्य संत पूज्य श्री सियाराम बाबा जी के प्रभुमिलन का समाचार संत समाज सहित सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है।
धर्म साधना एवं मां नर्मदा की सेवा में समर्पित पूज्य बाबा जी ने असंख्य श्रद्धालुओं के जीवन को दिशा दी।
बाबा महाकाल से… pic.twitter.com/XmuyyLV5d5
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12 वर्ष तक मौन व्रत
भक्तों के अनुसार, संत सियाराम बाबा मुंबई के अंधेरी के रहने वाले थे। वे शिक्षित और सहनशील होने के बाद भी शांतिप्रिय तपस्वी संत रहे। जानकारी के मुताबिक सियाराम बाबा ने लगभग 12 वर्ष तक मौन व्रत धारण करने के साथ ही पवित्र रामचरितमानस का पाठ किया। लंबे समय तक भट्यान बुजुर्ग में भगवान श्रीराम की भक्ति और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन और दीप प्रज्वलित करने के बाद बरगद के पेड़ के समीप एक पांव पर खड़े रहकर लंबे समय तप किया।
बाबा का आश्रम में भक्तों का तांता
सियाराम बाबा के अनुसार, कर्म ही व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा आशीर्वाद है। भक्तों का मानना है कि बाबा का जीवन कमल के पत्ते के समान है, जो सभी मुश्किलों में अपने आप को सहेज कर रखता है। संत सियाराम बाबा के आश्रम में कोई भेदभाव नहीं रहा। आश्रम में अमीर-गरीब सभी एक समान रहे। सियाराम बाबा के भटयान बुर्जुग आश्रम (Siyaram Baba Death News) एवं नर्मदा तट पर हमेशा मेले जैसा माहौल रहता था। पर्व-त्योहार पर बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों का जमावड़ा लग जाता था।
बाबा का आशीर्वाद लेने दूर-दूर से आते थे श्रद्धालु
सियाराम बाबा के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालु मध्य प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के अलावा अन्य कई राज्यों से आते थे। संत सियाराम बाबा (Bhatyan Bujurg Ashram Khargone) दिखावे में विश्वास नहीं करते थे। अपने सभी कार्यों के साथ आश्रम की सारी व्यवस्थाएं वे खुद देखते थे एवं निर्णय लेते थे। उनके यहां न तो कोई ट्रस्ट बना है और न ही उनके अपने सहयोगी लोगों की कोई टीम। संत सियाराम बाबा के दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों की सुबह 7 बजे से लेकर रात 10 बजे तक लाइन लगी रहती थी।
पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे सियाराम बाबा
बता दें कि, संत श्री बाबा सियाराम पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। जब से भक्तों को पता चला कि बाबा अस्वस्थ हैं, उनके दर्शन के लिए रोज सैकड़ों श्रद्धालु आते थे। लोगों में यह मान्यता है कि सियाराम बाबा के दर्शन मात्र से ही भक्तों के कष्ट एवं दुख दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं जब प्रदेश के मुख्यमंत्री को बाबा के अस्वस्थ होने की जानकारी लगी तब से उन्होंने डॉक्टरों को 24 घंटे विशेष देखभाल के लिए आदेश दिए थे। अब सियाराम बाबा ने इस नश्वर संसार को अलविदा कह दिया है। बाबा के ब्रह्मलीन में जाने के साथ ही भक्तों में शो की लहर है।
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