Stray Dog ​​News: बुरहानपुर में बढ़ा आवारा कुत्तों का आतंक, रास्तों से निकलने में लोगों को लगने लगा डर

Stray Dog ​​News: बुरहानपुर। जिले में आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ गया कि लोगों का रास्तों से निकलना दुश्वार हो गया है। आवारा कुत्ते लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
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Stray Dog ​​News: बुरहानपुर। जिले में आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ गया कि लोगों का रास्तों से निकलना दुश्वार हो गया है। आवारा कुत्ते लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग ने जो आंकड़ा जारी किया, वह बेहद चौंकाने वाला है। दरअसल, सरकारी अस्पताल में हर महीने करीब 400 केस ऐसे पहुंचते हैं, जो कुत्तों के काटने के होते हैं। अफसरों के मुताबिक रैबीज जानलेवा है। यदि किसी व्यक्ति को कुत्ता काटे तो टीके जरूर लगाएं। इस टीके से रेबीज की रोकथाम संभव है।

कुत्तों से परेशान हैं लोग

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग, पशु चिकित्सा विभाग सहित नगर पालिक निगम के समन्वय से 2030 तक रेबीज से मुक्ति का लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन, नगर निगम ने आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। नगर निगम सीमा क्षेत्र में आवारा कुत्तों से लोग परेशान हो चुके हैं। यह कुत्ते लोगों को काटते हैं लेकिन नगर निगम के अफसरों ने इसकी सुध नहीं ली।

हाल ही में जारी आंकड़े बताते हैं कि आवारा कुत्तों का आतंक काफी हद तक बढ़ चुका है। गुरुवार को लालबाग रोड स्थित श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी चिकित्सालय में राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में जिले भर के फार्मासिस्ट, ड्रेसर, कम्पाउंडर सहित स्टाफ नर्सों को एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एल.डी.एस फूंकवाल ने बताया कि रेबीज बीमारी प्राणघातक है। बिना एंटी रेबीज टीके या उपचार न लेने से मरीज की मौत भी हो सकती है।

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बीमारी से बचाव और रोकथाम है आसान

रेबीज बीमारी से बचाव एवं रोकथाम आसान है। यदि कोई भी जानवर काटता है तो फौरन ही सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध निशुल्क टीके लगाना अनिवार्य हो जाता है। जनता को जागरूक होने की आवश्यकता है। कुत्ते या किसी जंगली जानवर के काटने के 72 घंटे के भीतर टीकाकरण करना अनिवार्य हो जाता है। एआरवी टीकाकरण की सुविधा सरकारी अस्पताल में पूरी तरह से निशुल्क उपलब्ध है। इसका लाभ उठाएं, यह जीवनदायक साबित होगा।

जिला एपिडिमीयोलॉजिस्ट रविन्द्र सिंह राजपूत ने बताया कि माह दिसंबर में जिले की अलग-अलग स्वास्थ्य केन्द्रों में 408 प्रकरण कुत्ते के काटने के दर्ज हुए। इसी तरह बिल्ली-बंदर और अन्य जंगली जानवरों के काटने के 12 केस रिपोर्ट हुए। साल 2030 तक रेबीज से होने वाली मौतों को शून्य तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

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