Ujjain Local News: आस्था का अटूट विश्वास, मन्नत पूरी होने पर धधकते अंगारों के ऊपर से नंगे पांव निकले सैकड़ों श्रद्धालु
Ujjain Local News: उज्जैन। जिले के ग्रामीण क्षेत्र में धूलंडी (होली) के दिन अंगारों पर नंगे पांव चलकर भोलेनाथ को जल चढ़ाने की परंपरा कई गांव में आज भी जारी है। लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलकर भगवान के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं। अंगारों पर चलने की इस क्रिया को ग्रामीण क्षेत्रों में चूल चलना कहा जाता है। ग्रामीणों के अनुसार यह परंपरा बरसों पुरानी है।
मन्नत पूरी होने पर भोलेनाथ को जल
अपनी मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु महिला पुरुष और यहां तक की बच्चे भी हाथ में जल से भरा लोटा और नारियल लेकर चूल के एक तरफ से उतरकर दूसरी ओर निकलते हैं। और उसके बाद भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं। चूल लगभग ढाई फीट चौड़ी और 7 से 9 फीट लंबी होती है। जबकि, इसकी गहराई ढाई फीट होती है। इसमें लकड़ी और कोयला जलाकर उन्हें अंगारों का रूप दिया जाता है। उसके बाद भोलेनाथ के जयकारों के साथ ढोल-नगाड़ों के बीच शुरू होती है यह चूल की यात्रा। जिले के ग्राम धूलेट, जगोटी सहित आधा दर्जन गांवों में चूल चली जाती है।
मां हिंगलाज के नाम से जलती है चूल
उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के ग्राम धुलेट में अति प्राचीन धूर्रजटेश्वर महादेव मंदिर पर धुलेंडी के दिन मां हिंगलाज माता के नाम से चूल प्रज्वलित की जाती है। यहां देखने को मिलता आस्था का अटूट विश्वास। मां हिंगलाज का चमत्कार धधकते हुए अंगारों पर से अपनी मन्नत पूर्ण होने पर निकलते हैं। यहां पर देखने पर मिलता है कि कोई मां अपने बच्चों को तो कोई पिता अपने बच्चों को लेकर मन्नत पूरी होने पर धधकते हुए अंगारों पर से गुजरते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन कर जल अर्पित करते हैं। इससे किसी प्रकार की अनहोनी नहीं होने का दावा किया जाता है। इसीलिए कहा जाता है की आस्था पर भक्तों का अटूट विश्वास ही आस्था का अटूट विश्वास कहलाता है।
(उज्जैन से विश्वास शर्मा की रिपोर्ट)
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