Umaria Local News: पशुओं के हॉस्पिटल में भी भ्रष्टाचार, दवाईयों के पैसे किए हजम
Umaria Local News: उमरिया। मध्य प्रदेश का उमरिया एक आदिवासी बहुल जिला है और यहां पर जनप्रतिनिधि भी आदिवासी ही चुने जाते हैं और पढ़े-लिखे अधिकारी इन आदिवासियों को बेवकूफ बनाकर बड़े-बड़े भ्रष्टाचार कर जाते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें मूक-बधिर पशुओं के हॉस्पिटल, उनकी दवाओं एवं अस्पताल के भवन की देखरेख एवं मरम्मत कार्य में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। यह मामला जबलपुर हाई कोर्ट में चल रहा है जिसकी तारीख अब 14 तारीख को है । इस तारीख को उमरिया कलेक्टर एवं डिप्टी डायरेक्टर को हाई कोर्ट में उपस्थित होना है। अगर यह दोनों अधिकारी इस बार भी उपस्थित नहीं होते हैं तो हाई कोर्ट को कड़ा निर्णय लेना पड़ेगा क्योंकि पहले भी हाईकोर्ट में दो पेशियों में ये दोनों अधिकारी उपस्थित नहीं हुए हैं इसलिए इस बार उपस्थित होना अनिवार्य है।
पशु औषधि केंद्र से जुड़ा है पूरा मामला
हाई कोर्ट जबलपुर ने आदेश देते हुए कहा है कि उमरिया कलेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर एवं पशु चिकित्सक हाजिर हो। पूरा मामला उमरिया जिले के पशु औषधि केंद्र में दवाइयों की खरीदारी एवं पशुओं की देखरेख के लिए सरकार ने पैसा आवंटित किया था लेकिन इस पैसे का दुरुपयोग कैसे हुआ और कहां हुआ। इसकी विभागीय जांच की गई और जांच में सच पाया गया लेकिन स्थानीय स्तर (Umaria Local News) पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो विभाग के ही एक बाबू ने हाई कोर्ट में अपील दायर की। उस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इन अधिकारियों को पीसी पर बुलाया लेकिन कोई भी उपस्थित नहीं हुआ, अब उसी संबंध में 14 फरवरी को कोर्ट में तारीख है।
प्रभारी मंत्री ने कार्रवाई करने की बात कही
जब जिले के प्रभारी मंत्री का उमरिया आगमन हुआ, उस दौरान मीडिया ने प्रभारी मंत्री से सवाल किया कि इस भ्रष्टाचार में उमरिया के कलेक्टर व डिप्टी डायरेक्टर सम्मिलित हैं और उनकी हाई कोर्ट में पेशी है तो उनका कहना यह था कि मेरे संज्ञान मे लाइए तो मैं कुछ चर्चा करके कार्रवाई करूंगा जब उनसे यह कहा गया कि यह मामला हाईकोर्ट में है तो झल्ला गए।
ग्राउंड रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे
फिलहाल यह मामला (Umaria Local News) हाईकोर्ट में चल ही रहा था तभी कुछ मीडियाकर्मियों ने ग्राउंड रिपोर्टिंग का फैसला लिया और जब ग्राउंड में पहुंचे तो आंखें फटी की फटी रह गई। कई वर्षों से इन भवनों को जीर्णशीर्ण हालत में छोड़ दिया गया है। न तो कभी इन भवनों में सीमेंट लगी और न ही कभी इस बिल्डिंग की दीवारों में कलर किया गया। बाउंड्री में गेट नहीं होने के कारण कार्यालय के अंदर आसामाजिक तत्वों के द्वारा शराबखोरी भी की जाती है। यहां के अधिकारी एवं कर्मचारी स्वयं भयभीत हैं कि हम क्या करें, क्या ना करें। अधिकारी कभी देखने तक नहीं आते कि कार्यालय की स्थिति क्या है, टूटी कुर्सियों पर बैठना पड़ता है, दवाइयों का नामोनिशान नहीं है। भवन की हालत जर्जर है और भवनों के मेंटेनेंस का पैसा, दवाइयों का पैसा अधिकारियों कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है।
(उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट)
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