Union Carbide Waste: यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर समिति ने पूछे 24 सवाल

समिति ने यह भी सवाल उठाया कि 2013 में तत्कालीन सरकार ने इस कचरे के निष्पादन का विरोध किया था, लेकिन अब इसे भोपाल से लाकर पीथमपुर में क्यों जलाया जा रहा है?
union carbide waste  यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर समिति ने पूछे 24 सवाल

Union Carbide Waste: इंदौर। पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के जलाने को लेकर विरोध बढ़ता ही जा रहा है। इसी क्रम में आज पीथमपुर बचाओ समिति के सदस्य और पदाधिकारी इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता करने पहुंचे। उन्होंने प्रशासन से 24 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण की मांग की है और आरोप लगाया कि कचरे के निष्पादन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाई जा रही हैं। समिति के सदस्यों ने कहा कि यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने से पहले जो ट्रायल किया गया था, उसकी रिपोर्ट अधूरी है और इसे आमजन व अन्य संबंधित समितियों के साथ साझा नहीं किया गया है।

पीथमपुर बचाओ समिति ने मांगे प्रशासन से जवाब

समिति के अध्यक्ष डॉ. हेमंत कुमार हिरोले ने बताया कि इस कचरे के जलाने से आम लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है, लेकिन प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है। डॉ. हिरोले ने यह भी दावा किया कि प्रशासन ने 11 लोगों का एफिडेविट प्रस्तुत किया था, जिसमें बताया गया कि उन्होंने कचरे के निष्पादन के लिए सहमति दी है। लेकिन समिति का कहना है कि यह गलत जानकारी है और उनके पास ऐसे कई लोगों के एफिडेविट हैं जो इस निष्पादन का विरोध कर रहे हैं। समिति के सदस्यों ने मांग की कि जो कचरा जलाया जा रहा है, उसकी राख, निकलने वाले पानी और गैस का क्लिनिकल टेस्ट कराया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनसे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ रहा है।

Union Carbide Waste Disposal

कमेटी ने प्रशासन से पूछे 24 सवाल

समिति ने यह भी सवाल उठाया कि 2013 में तत्कालीन सरकार ने इस कचरे (Union Carbide Waste) के निष्पादन का विरोध किया था, लेकिन अब इसे भोपाल से लाकर पीथमपुर में क्यों जलाया जा रहा है? इस फैसले के पीछे किन कारणों से बदलाव किया गया, इस पर भी प्रशासन को जवाब देना चाहिए। समिति ने ऐलान किया कि वे जल्द ही इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे और कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग करेंगे। समिति द्वारा जो 24 मांगे रखी गई हैं, वे इस प्रकार हैं

यह है 24 प्रश्न, जिनके जवाब हैं बाकी

1. एमपी पी सी बी द्वारा मीडिया में जारी रिपोर्ट में बहु प्रचलित लगातार ऑनलाइन निगरानी ocems के दौरान सबसे महत्वपूर्ण तथ्य स्टेटमेंट या स्टेट टू इंसुलेटर का तापमान नहीं दिया गया है जो कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है।

2. इसी तरह से ocems में तीन मार्च को यह तापमान 100 से काम बताया गया जो की अति असमान्य गैर वैज्ञानिक तथ्य है।

3. समिति ने कहा कि वर्तमान रिपोर्ट में 2015 की ट्रायल रिपोर्ट में से अधिकांश पैरामीटर एवं विवरण को 2025 की रिपोर्ट से गायब कर दिया गया है

4. एम पी पी सी द्वारा मीडिया में जारी पहले ट्रायल रिपोर्ट में भोपाल जहरीले कचरे (Union Carbide Waste) के अत्यंत महत्वपूर्ण घातक मर्करी जो की अत्यंत घातक न्यूरो टॉक्सिन है कि 2015 की रिपोर्ट में सामान्य से 700 से 900 गुना मात्रा का है रिपोर्ट में जिक्र ही नहीं किया गया मर्करी को कितनी मात्रा में स्थिर किया गया यह भी रिपोर्ट में नहीं बताया गया है।

5. भारत में मर्करी स्थिरी करण की यह तकनीक उपलब्ध नहीं सीपीसीबी और एमपी पीसीबी ने इसका पूरा विवरण नहीं दिया है।

6. मर्करी की कितनी मात्रा लैंड फिल में डाली गई, किस क्वालिटी में मर्करी फिल्टर को कहां दफनाया गया यह भी नहीं बताया गया।

7. मर्करी लगभग 340 के आसपास गैस बनती है एंबिएंट गैस या हवा में मर्करी की कितनी मात्रा निकली यह भी नहीं बताया गया।

8. भोपाल जहरीले कचरे को इसीलेटर में डालने की पूर्व की स्पीड 90 किलो प्रति घंटा की बाजार 135 किलो प्रति घंटे कर जन विरोध को देखते हुए हड़बड़ी में कचरा जलाया गया है जिससे कितना बचा कचरा जिसे लैंडफिल में डाला गया यह नहीं बताया गया है।

9. पहले ट्रायल रिपोर्ट में लैंडफिल निर्माण प्रक्रिया तथा tc l p वैल्यू अर्थात इस कचरे की भस्म लैंडफिल में डालने योग्य है या नहीं या नहीं बताया गया है।

10. भोपाल के जहरीला कचरा की फिंगरप्रिंट रिपोर्ट या तल की भस्म रिपोर्ट को ना ही 2015 की ट्रायल रिपोर्ट में ना ही 2025 के ट्रायल की पहली रिपोर्ट में बताया गया है।

11. भोपाल के घातक का केमिकल कचरे को जलाने से ऑनलाइन निगरानी द्वारा अथवा अन्य तरीके से घातक जहरीली गैस डाई ऑक्सीजन व फ्यूरान की कितनी मात्रा अथवा अन्य तरीके से घटक जहरीली गैस डाई ऑक्सीसन व फ्यूरान की कितनी मात्रा निकली यह नहीं बताया गया है डाई ऑक्सीन व फ्यूरान की कितनी मात्रा निकली यह नहीं बताया गया , डाई ऑक्सीन व फ्यूरान की किस लैब में जांच कराई उसका नाम नहीं बताया गया है।

12. ज्ञात हो कि अंतरराष्ट्रीय कन्वर्सेशन बासल मीनामाता स्ट्रोक होम आदि भोपाल का अत्यधिक न्यूरोटोक्सीन मर्करी वह अन्य भारी धातु तथा डाइ ऑक्सिन उत्पन्न करने वाले घातक केमिकल से युक्त कचरा इंसिडेंट में ना जलाने की गाइडलाइन देते हैं इसका भारत हस्ताक्षर करता होने के बावजूद सीपीसीबी भोपाल कचरा (Union Carbide Waste) के ट्रायल में इस गाइडलाइन का पालन नहीं किया है

13. सल्फर अत्यंत घातक प्रदूषण करता होने पर भी सल्फर की अत्यंत उच्च मात्रा 72 घंटे में करीब 60 किलो भोपाल कचरा के लाल के दौरान उपयोग की गई जो प्रक्रियागत रूप से लैंडफिल में डालने के बाद घटक प्रदूषण उत्पन्न करेगी जिस प्रदूषण का विवरण रिपोर्ट में वैज्ञानिक तथा आचार्य जनक रूप से सामान्य बताया गया है।

14. भोपाल कचरा केरल के दौरान सबसे बड़े प्रदूषण करता डीजल को एनर्जी के रूप में उपयोग किया गया पहले ट्रेन में मीडिया रिपोर्ट अनुसार संपूर्ण प्रक्रिया में 63000 लीटर डीजल का उपयोग किया गया रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि डीजल भोपाल कचरा के सारे मनको को किस प्रकार प्रभावित करेगा।

15. पीथमपूर t s d f को पूर्व में एम द्वारा लैंडफिल सिपाही पर नोटिस दिया गया जिसे उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया इस महत्वपूर्ण तत्व को भी ट्रेल रिपोर्ट में नजर अंदाज किया गया है।

16. 2015 ट्रायल तथा 2025 ट्रायल की वीडियोग्राफी की भी अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है जिसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

17. उच्च न्यायालय में झूठी जानकारी झूठे हलफनामे दिए गए हैं 11 लोगों के पीथमपुर सीएमओ और धार कलेक्टर के द्वारा उसमें से 10 लोगों ने शपथ पत्र दिए।

18. नगर पालिका परिषद और नगर पालिका अध्यक्ष की सहमति से विरोध प्रस्ताव पारित किया गया था कि यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर में न जले परन्तु पीथमपुर सी एम ओ ने पीथमपुर के कुछ नागरिकों के झूठे सहमति प पत्र देकर माननीय न्यायालय को गुमराह किया गायक,जनप्रतिनिधि की सहमति बताकर उसके विरोध में जिन ग्यारह लोगों के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना बताया कि गुमराह कराकर नगर पालिका अधिकारियों द्वारा उनके हस्ताक्षर के लिए गए थे जिनके हम विरोध करते हैं हमने हमारे शपथ पत्र बना कर दिया जिसमें कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने में हमारी समिति नहीं है हम सब लोग यूनियन कार्बाइड के कचरे के जलाने का विरोध करते हैं।

19, इंदौर कमिश्नर दीपक सिंह ने कहा था कि कचरा जलेगा तो मैं वहां रहूंगा कचरा जलने तक लेकिन नहीं रुक सिर्फ कचरा जाने के दीप प्रज्वलन करके चले गए यह जनता के साथ धोखा किया गया है

20. पहले ट्रायंल रन में मानक दरों से ज्यादा प्रदूषण हुआ था जिसकी शिकायत करने पर जो जवाब आया की पट्टा टूट जाने की वजह से ड्रायर की मोटर पंप बंद होने से ज्यादा हो गया था ऐसा आपने जवाब में कहा गया था इसका मतलब प्रदूषण बोर्ड में यह मान लिया था कि कंपनी के द्वारा गलती हो गई ऐसा खुद के कथन में दी गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है इससे न्यात होता है की 6 टन पर ही इन्वेस्टर का पत्ता टूटना ड्रायर की मोटर बंद होना असफलता को दर्शाता है।

21. प्रदूषण विभाग में प्रदूषण के सही आंकड़े नहीं दिए गए शिकायत करने के बाद जवाब दिया गया पत्र के द्वारा प्रदूषण विभाग में इसका साफ मतलब है कि पहले ट्रायल रन फेल हो गया है।

22. प्रदूषण विभाग में रामकी प्लाट का प्रदूषण फैलाना का नोटिस दिया गया है जिसमें पाया गया था लेकिन रामकी कंपनी द्वारा उसका अभी भी कोई जवाब नहीं दिया गया ,राम की कंपनी के आजू-बाजू में लिए गए पानी के सैंपल में भोपाल गैस त्रासदी में मिलने वाले रसायन मिले हैं जिससे यह प्रतीत होता है कि आपके प्लांट गंभीर प्रदूषण फैला रहा है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

23. पहले ट्रायल में हजार लीटर पानी का प्रयोग किया गया ड्राइवर में उसकी कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं है कि और उसमें निकाली गई राख करीब 40 तक उसकी कोई जांच रिपोर्ट नहीं बताई गई ।

24. यह राम की प्लांट केंद्रीय पॉल्यूशन बोर्ड की गाइडलाइन t s d f के अनुसार 500 मीटर के अंदर कोई आबादी नहीं होना चाहिए लेकिन तारपुरा गांव 50 मीटर के अंदर ही बसा है , जो कि c p c b यह गाइडलाइन का उल्लंघन है ।

(इंदौर से संदीप मिश्रा की रिपोर्ट)

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