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हाईकोर्ट के आदेश को नजर अंदाज करना पड़ा भारी, 4 IAS समेत 5 अफसरों के खिलाफ वारंट जारी

Warrant Against Officers in MP भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 4 आईएएस समेत 5 अधिकारियों के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। जिन अधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी किए गए हैं उनमें आईएएस अधिकारी मनीष...
11:34 AM Aug 14, 2024 IST | Saraswati Chander

Warrant Against Officers in MP भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 4 आईएएस समेत 5 अधिकारियों के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। जिन अधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी किए गए हैं उनमें आईएएस अधिकारी मनीष रस्तोगी, मोहम्मद सुलेमान, विवेक पोरवाल एवं दिनेश श्रीवास्तव हैं के नाम शामिल हैं। इसके अलावा डॉ. आरसी पनिका के खिलाफ भी वारंट जारी किया गया।

हाईकोर्ट के आदेश को नजर अंदाज करना पड़ा भारी

दरअसल, संविदा कर्मचारियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने एक नीति बनाई थी। इसमें 100 फीसदी वेतनमान देने का फैसला हुआ था। इस नीति के लागू होने के बाद अधिकांश संविदा कर्मचारियों को 'मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी नीति' के तहत समान वेतन दिया, कुछ विभागों में अधिकारियों ने समान वेतन के आदेश जारी नहीं किए। इनमें से एक कर्मचारी पार्थन पिल्लई जो स्वास्थ्य विभाग में संविदा कर्मचारी हैं और इंदौर में पदस्थ ही थे। उन्हें भी समान वेतन नहीं मिला। पार्थन पिल्लई ने इसे अपने साथ इसे अन्याय बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। वहीं, नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान शासन को आदेश दिया कि वह, पार्थन पिल्लई को अन्य कर्मचारियों के समान वेतन प्रदान करने के निर्देश दिए।

4 IAS समेत 5 अफसरों के खिलाफ वारंट जारी

अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश को नजरअंदाज कर दिया। 4 महीने के भीतर हाईकोर्ट के आदेश का पालन करना था, लेकिन अप्रैल 2024 तक आदेश पर किसी तरह का एक्शन नहीं हुआ। इसके बाद पार्थन पिल्लई ने परेशान होकर हाईकोर्ट में आदेश की अवमानना को लेकर याचिका दायर की। याचिका के आधार पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के तत्कालीन ACS मोहम्मद सुलेमान, GAD के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, हेल्थ कमिश्नर विवेक पोरवाल, हेल्थ डायरेक्टर दिनेश श्रीवास्तव और क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, इंदौर डॉ. आरसी पनिका के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया।

25000 कर्मियों का वेतन घटाया

जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश संविदा नीति 2023 न तो पूरी तरह से लागू हुई और न ही समान वेतन का निर्धारण हो पाया। इस तरह से सभी विभागों के 25,000 से अधिक अफसर एवं कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने के बजाय कम कर दिया गया। गौर रहे कि इंदौर हाईकोर्ट ने 5 दिन पहले मनरेगा में अफसर के समान वेतन का ध्यान करते हुए वेतनमान लागू होने से क्षेत्र निर्धारित कर भुगतान करने का फैसला सुनाया था।

कई विभागों में कर्मचारी परेशान

बता दें कि, मध्य प्रदेश में 34 ऐसे विभाग हैं जिनमें 22 जुलाई 2023 को संविदा नीति लागू होने के बाद अब तक पूरी तरह से लागू नहीं की गई। अब तक  इन विभागों में पदस्थ कर्मचारियों को उनके लाभ नहीं दिए गए हैं। वहीं,  नई पेंशन स्कीम लागू नहीं की गई है। ग्रेच्युटी, अनुकंपा नियुक्ति, मैटरनिटी लीव के आदेश जारी नहीं हुए हैं। इसके साथ ही अनुबंध प्रक्रिया यथावत बनी हुई है और स्वास्थ्य बीमा योजना भी लागू नहीं की गई है। जिसके चलते कर्मचारी परेशान हैं।

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