Wastage of Wheat: गरीबों को मिलने वाला हजारों क्विंटल गेहूं सड़कर हुआ खराब, कौन लेगा जिम्मेदारी?
Wastage of Wheat: गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे लोगों के उत्थान के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चलाती हैं। हालांकि, कई योजनाएं ऐसी होती हैं जिनका लालफीताशाही और लापरवाही के चलते गरीबों को लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसा ही एक मामला उमरिया जिले (Umaria district) से आया है। यहां गरीबों को वितरित किया जाना वाला हजारों क्विंटल गेहूं खुले आसमान में पड़ा होने के चलते सड़कर खराब हो गया है।
भंडारण के लिए करोड़ों खर्च फिर भी गेहूं खराब
यही स्थिति जिले के उमरिया, खुटार, छपरौड़ और चंदिया में भी देखने को मिल रही है जहां भंडारित किया गया गेहूं सड़कर खराब हो चुका है। इतने बड़े नुकसान के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इसकी कोई सुध नहीं ले रहे हैं। विभाग के मुताबिक यह गेहूं वर्ष 2021-22 में भंडारित कराया गया था और विभाग के जिम्मेदार अफसर शायद यह भूल गए की इस गेहूं को कैंप से उठाकर वेयर हाउस तक भी ले जाना था। यहां ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि गेहूं उपार्जन के बाद भंडारण तक ले जाने के लिए करोड़ों रुपए के परिवहन के टेंडर भी सालाना जारी किए जाते हैं। इसके बावजूद भी इतना नुकसान होना समझ से परे है।
तीन साल से नहीं बांटा गया गेहूं
किसानों से गेहूं उपार्जन परिवहन की जिम्मेदारी नागरिक आपूर्ति विभाग की होती है। इसके बाद इसे सुरक्षित भंडारण करने के लिए वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन जिम्मेदार होता है। हालांकि, उमरिया में गेहूं के भारी मात्रा में खराब होने के लिए यह दोनों ही विभाग जिम्मेदार हैं। बीते तीन सालों से उमरिया जिले के राशन दुकानों में हितधारकों को गेहूं का वितरण नहीं किया गया है। हजारों क्विंटल गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा है जो अब खाने लायक भी नहीं बचा है। इतनी अधिक मात्रा में गेहूं का खराब होना सिस्टम पर कई सवाल खड़े करता है।
कागजों में चल रही है जांच
इस मामले की जानकारी जिले के जिम्मेदार विभागों से लेकर प्रदेश सरकार तक को है। इतना ही नहीं बकायदा प्रदेश स्तरीय जांच टीम गठित कर इस मामले की जांच भी कराई जा रही है, लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। इस मामले में कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन भी ज्यादा कुछ कहने से बच रहे हैं। उन्होंने भी औपचारिकता पूरी करने के लिए बस इतना ही कहा, "सरकार इस मामले में जांच समिति बनाकर जांच करा रही है।"
एक आशंका यह भी
जिले में हजारों क्विंटल गेहूं सड़ने के बाद भी जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ा है। वहीं जानकर यह भी बताते हैं इसके पीछे एक दूसरा गणित भी है जो दिखाई नहीं दे रहा है। ये भी हो सकता है कि यह गेहूं लापरवाही से नहीं बल्कि जानबूझकर खराब किए गए हों। दबी जुबान से विभाग के लोग कह रहे हैं कि भोपाल में बैठे अफसर खराब गेहूं को बीयर कंपनी को बेचने के फिराक में हैं। ये भी एक बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। अब देखना होगा कि इस इतनी बड़ी साजिश पर प्रदेश सरकार क्या कार्रवाई करती है?
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