Congress defeat in Gwalior ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस की क्यों हुई करारी हार? पार्टी के भीतर मंथन जारी

Congress defeat in Gwalior ग्वालियर। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी सदमें में है। खास तौर पर ग्वालियर-चंबल अंचल की हार कांग्रेस पचा नहीं पा रही है। जिस ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस अपने आपको...
congress defeat in gwalior ग्वालियर चंबल में कांग्रेस की क्यों हुई करारी हार  पार्टी के भीतर मंथन जारी

Congress defeat in Gwalior ग्वालियर। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी सदमें में है। खास तौर पर ग्वालियर-चंबल अंचल की हार कांग्रेस पचा नहीं पा रही है। जिस ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस अपने आपको सबसे मजबूत मान रही थी वहां कांग्रेस की शर्मनाक हार के पीछे क्या है कारण इसी बात की चर्चा हो रही है। पार्टी के कई नेता कह रहे है कि कांग्रेस की हार के पीछे आपसी गुटबाजी और टिकटों के बंटवारे में हुई गड़बड़ी बड़ी वजह रही है।

भाजपा की प्रचंड जीत से कांग्रेस सकते में

मध्य प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद कांग्रेस में मंथन का दौर चल रहा है। ग्वालियर-चंबल अंचल वह इलाका है जहां पिछले 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहा था। इस समय अंचल की 34 सीटों में से 16 सीटें कांग्रेस ने जीत ली थीं। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां करारी हार का सामना करना पड़ा है। अब कांग्रेस के नेता यह पता लगाने में जुटे हैं कि इतनी शर्मनाक हार के पीछे कौन से कारण रहे हैं।

कांग्रेस का भीतरी कलह सबसे बड़ी वजह

माना जा रहा है कि ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस की हार का सबसे बड़ी वजह पार्टी का भीतरी कलह है। चुनाव प्रचार के दौरान ही यह साफ दिखने लगा था। कोई भी कद्दवर नेता अपने दल के प्रचार में मन से शामिल नहीं था। दूसरी बात रही कि प्रचार नहीं किया वहां तक तो ठीक था कई नेताओं पर तो भीतरघात का भी आरोप लगा है। जिनको टिकट नहीं मिला वे या तो घर बैठ गए या फिर अपने ही दल के प्रत्याशी की जड़ें खोदने लगे।

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कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने बना ली दूरी

लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारकों की बड़ी भूमिका होती है। लोकसभा चुनाव 2024 में ग्वालियर-चंबल इलाके में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की भूमिका संदिग्ध रही। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान देखने में आया कि कोई भी बड़ा स्टार प्रचारक प्रत्याशियों के साथ नहीं दिखा। प्रत्याशी खुद ही अपना प्रचार करते रहे। सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसा केवल एक दो सीटों पर नहीं हुआ बल्कि ग्वालियर चंबल-अंचल की सभी सीटों पर देखने को मिला।

प्रत्याशियों के चयन में देरी भी एक बड़ा कारण

इस लोकसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे के दौरान भी भारी गड़बड़ी हुई। पार्टी आलाकमान ने प्रत्याशियों के चयन में भी बहुत देरी की।  ग्वालियर लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक और मुरैना लोकसभा से कांग्रेस सत्यपाल सिंह सिकरवार को टिकट देने मे देरी होने से वे ठीक तरह से तैयारी नहीं कर सके। इसके अलावा  भिंड लोकसभा सीट पर कांग्रेस नेताओं की आपसी खींचतान ने भी क्षति पहुंचाई। यहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के अलावा प्रचार करने के लिए कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा।

जाति-धर्म के खिलाफ  भाषण बाजी

ग्वालियर-चंबल में जातियों को निशाना बनाकर दिए गए कांग्रेस नेताओं के बयानों ने भी क्षति पहुंचाई है। जातियों को निशाना  बना कर बोलने में फूल सिंह बरैया सबसे आगे थे। इनका विरोध  सबसे ज्यादा देखने को मिला क्योंकि वह लगातार मंच से जातिगत  टिप्पणी करते रहे।

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महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएं भी बड़े कारण

मध्य प्रदेश में भाजपा की बड़ी जीत और कांग्रेस की बड़ी हार के कई पीछे राज्य सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं का भी हाथ है। कांग्रेस ने तो बाजपा पर लालच देकर वोट बटोरने का आरोप लगाया है। सरकार की महिलाओं के लिए चलाई गई योजनाएं बहुत लोकप्रिय रहीं जिसके कारण कांग्रेस से मतदाता विमुख हो गए।

कांग्रेस का भाजपा पर आरोप

कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि जो भी जनता का निर्णय है उसे हम स्वीकार करते हैं। कांग्रेस नेता ने बाजपा पर आरोप लगया कि कांग्रेस को कमजोर करने के लिए मोदी सरकर ने अपने दल बल के साथ कांग्रेस को आर्थिक रूप से कमजोर करने के जुट गए थे। भाजपा ने कांग्रेस का अकाउंट फ्रिज करवा दिया। इसके अलावा केन्द्रीय एजेंसियों ईडी और सीबीआई के छापे पड़वाए गए।

भाजपा ने किया पलटवार

मध्य प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत से उत्साहित भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब दिया है। भाजपा के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर ने तंज कसते हुए कहा कि ‘‘ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को  मैं उनके अनुशासन के लिए बधाई देना चाहता हूं कि जिनके प्रदेश के नेता ने जब कह दिया कि पार्टी जाए तेल लेने, तो कार्यकर्ताओं ने भी वही काम किया। वही योजनाओं को लेकर उनका कहना था कि यदि अनाज या अन्य योजनाओं का लाभ लोगों को दिया जा रहा है तो वह भारत की जनता का अधिकार है जिसे जो मिलना चाहिए वह मिलेगा।

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