Chhindwara Shaheed Kabir Uikey: छिंदवाड़ा के लाल कबीर उइके का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

Chhindwara Shaheed Kabir Uikey: जम्मू-कश्मीर में मंगलवार रात आंतकियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए छिंदवाड़ा के लाल कबीर उइके का अंतिम संस्कार गुरुवार को उनके पैतृक गांव मरजातपुर में हुआ। कबीर के शहीद होने की खबर आने बाद से...
chhindwara shaheed kabir uikey  छिंदवाड़ा के लाल कबीर उइके का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

Chhindwara Shaheed Kabir Uikey: जम्मू-कश्मीर में मंगलवार रात आंतकियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए छिंदवाड़ा के लाल कबीर उइके का अंतिम संस्कार गुरुवार को उनके पैतृक गांव मरजातपुर में हुआ। कबीर के शहीद होने की खबर आने बाद से ही उनके परिवार समेत पूरे गांव में गम का माहौल है। हर किसी ने नम आंखों के साथ भारत माता के इस सपूत को अंतिम विदाई दी।

सम्मान के साथ हुई जवान की अंतिम विदाई

शहीद कबीर की अंतिम विदाई पूरे राजकीय सम्मान के साथ की गई। इसे लेकर प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए। गुरुवार को उनका शव पहुंचने के बाद उसे परिजनों और गांव के लोगों के अंतिम दर्शनों हेतु रखा गया। इसके बाद उन्हें सेना द्वारा सलामी दी गई। इससे पूर्व बुधवार को सीआरपीएफ के जवानों ने कबीर के घर जाकर उनके परिजनों से मुलाकात की थी और उन्हें ढांढस बंधाया था।

मंगलवार रात कठुआ में शहीद हुए थे कबीर

मंगलवार रात आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ के हीरानगर स्थित सैदा सुखल गांव में हमला किया था। इसके बाद सेना ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब दिया। काफी देर तक चली मुठभेड़ के बाद सेना की ओर करीब उइके के रूप में एक जवान शहीद हो गया और अन्य पांच जवान घायल हो गए। सेना की कार्रवाई में एक आतंकी के भी मारे जाने की पुष्टि हुई है।

कबीर पर ही आश्रित था पूरा परिवार

कबीर असमय निधन से परिवार की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ने की समस्या नजर आ रही है। वह अपने परिवार में अकेले कमाने वाले व्यक्ति थे और पूरा परिवार उन्हीं पर आश्रित था। कबीर की चार साल पहले ही शादी हुई थी। वह अपने पीछे मां और दो बहनें छोड़ गए हैं। इस परिवार को इकलौता सहारा चले जाने से पूरा परिवार सदमे में है।

कुछ समय बाद मध्य प्रदेश में ही होने वाला था ट्रांसफर

परिवार की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कबीर का ट्रांसफर बहुत जल्द मध्य प्रदेश में ही होने वाला था। उन्होंने भोपाल में पोस्टिंग मिलने की संभावना थी। ऐसा होने पर वह परिवार के और नजदीक आ जाते। हालांकि, कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। कबीर केवल 35 वर्ष की उम्र में ही असमय इस दुनिया को अलविदा कहकर चले गए।

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