Jammu Kashmir Govt: दिल्ली जैसे हालात देखने को मिल सकते हैं जम्मू-कश्मीर में भी, उमर अब्दुल्ला के बयान ने दिए संकेत

Jammu Kashmir Govt: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों में नेशनल कॉन्फ्रेंस को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है। यह भी निश्चित है कि कांग्रेस तथा दूसरी पार्टियां भी जरूरत पड़ने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को ही सपोर्ट करेंगी। फारुक अब्दुल्ला ने भी...
jammu kashmir govt  दिल्ली जैसे हालात देखने को मिल सकते हैं जम्मू कश्मीर में भी  उमर अब्दुल्ला के बयान ने दिए संकेत

Jammu Kashmir Govt: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों में नेशनल कॉन्फ्रेंस को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है। यह भी निश्चित है कि कांग्रेस तथा दूसरी पार्टियां भी जरूरत पड़ने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को ही सपोर्ट करेंगी। फारुक अब्दुल्ला ने भी उमर अब्दुल्लाह को राज्य का नया सीएम बताते हुए सरकार बनाने की बात कही है। जल्द ही वहां सरकार बन जाएगी और देश के किसी भी अन्य राज्य की तरह ही वहां पर सरकारी काम शुरू हो जाएगा। नई सरकार के सामने इस बार कुछ नई चुनौतियां होंगी। आइए जानते हैं इन चुनौतियों के बारे में

नई सरकार को करना होगा LG के साथ मिलकर काम

इस बार जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य नहीं है वरन केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। यहां पर धारा 370 भी खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में सब कुछ नए सिरे से शुरू होगा। केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण यहां पर गवर्नर के बजाय लेफ्टिनेंट गवर्नर होंगे। साथ ही राज्य सरकार (Jammu Kashmir Govt) सीधे ही किसी भी बिल को पास नहीं कर पाएगी वरन उस पर लेफ्टिनेंट गवर्नर की अप्रुवल लेनी होगी। इसके साथ ही एलजी चाहे तो उस बिल को केंद्र सरकार को भी भेज सकते हैं।

केंद्र सरकार और राज्य सरकार को मिलकर करना होगा काम

इस तरह राज्य सरकार के कामकाज में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार की दखलंदाजी रहेगी। यदि दोनों सरकारों के बीच में उचित सामंजस्य रहेगा तो सरकार बहुत अच्छे से चलेगी जैसे कि दिल्ली में पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय में थी। यदि दोनों सरकारों के बीच विरोधाभास रहा या संबंध सही नहीं रहे तो अभी देश की राजधानी दिल्ली में जिस तरह के हालात चल रहे हैं, उसी तरह के कुछ हालात जम्मू-कश्मीर में भी दिखाई दे सकते हैं।

क्या रहेगा राज्य का भविष्य

फिलहाल उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सरकार (Jammu Kashmir Govt) बनने वाली है। जल्द ही राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच कैसे संबंध रहेंगे, यह भी सामने आएगा। उसी समय यह पता चल पाएगा कि राज्य के हालात कैसे रहेंगे। हालांकि अभी उमर अब्दुल्ला का एक बयान जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से विधानसभा में 5 सदस्य नोमिनेट नहीं करने की बात कही है, भी चर्चा में है। माना जा रहा है कि वह राज्य में पूर्ण स्वतंत्रता के साथ काम करना चाहते हैं, लेकिन कितना कामयाब होंगे, यह आगे देखने वाली बात होगी।

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