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NEET UG 2023-24: नीट एग्जाम में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, इंदौर-जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले किए खारिज

NEET UG 2023-24: जबलपुर। सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश NEET UG 2023-24 में एडमिशन के लिए आरक्षण नियमों को गलत ढंग से लागू किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में इंदौर तथा ग्वालियर...
06:12 PM Aug 21, 2024 IST | Dr. Surendra Kumar Kushwaha

NEET UG 2023-24: जबलपुर। सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश NEET UG 2023-24 में एडमिशन के लिए आरक्षण नियमों को गलत ढंग से लागू किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में इंदौर तथा ग्वालियर हाईकोर्ट द्वारा पारित किए गए फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी.आर. गवाई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की डबल बेंच ने निरस्त करते हुए हाईकोर्ट के फैसलों को दुर्भाग्यपूर्ण ठहराया है।

NEET UG 2023-24 पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ की थी SC में अपील

एमपी हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता रामनरेश कुशवाहा रिंकू कुशवाहा और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि मेरिट के आधार पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अनारक्षित में चयनित नहीं किया जाना संवैधानिक त्रुटि है। सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत फैसला पारित कर कहा कि मध्य प्रदेश में जी.एस. कोटा गलत रूप से लागू किया गया है। नीट यूजी में आरक्षण से सम्वधित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त करके ओबीसी वर्ग के याचिकाकर्ताओ को MBBS सत्र 2024-25 में एडमिशन देने के निर्देश दिए है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरक्षण गलत तरीके से लागू किया गया

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा पहली बार दस फीसदी जी.एस. आरक्षण लागू किया गया था। उक्त आरक्षण को प्रत्येक वर्ग में होरीजोंटल रूप से लागू किए जाने का प्रावधान किया गया। इस आरक्षण को काउंसलिंग में गलत ढंग से लागू किया गया जिसमे अनारक्षित-GS की कटाफ 291 अंक, ओबीसी -GS 465, एस.सी.-GS 314, EWS -GS 428 अंक नियत कर, आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में एडमिशन नहीं दिया गया। सरकार के इस निर्णय से नाराज छात्रों ने इंदौर, ग्वालियर तथा जबलपुर हाईकोर्ट में अनेको याचिकाएं दाखिल की गई।

इंदौर तथा ग्वालियर हाईकोर्ट ने दायर याचिकाओं को निरस्त करते हुए नीट यूजी काउंसलिंग में अपनाई गई प्रक्रिया को उचित करार दिया गया। हाईकोर्ट के उक्त आदेशों के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में SLP (C) 2111/2024, 2311/2024, 2312/2024 तथा 2285/2024 दायर की गई थी । उक्त याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमे विस्तृत फैसला पारित किया जाकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों को निरस्त करते हुए काउंसलिंग में अपनाई गई प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण पाया।

पूर्व में पारित सात फैसलों का भी किया उल्लेख

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपने फैसले में पूर्व में पारित सात फैसलों को रेखांकित करते हुए निर्देशित किया कि काउंसलिंग में लागू आरक्षण नियमों को बेहद त्रुटिपूर्ण रुप से लागू किया गया है। साथ ही उक्त प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस (प्रतिभावान) छात्रों को अनारक्षित वर्ग में एडमिशन नहीं दिया गया है, जो गंभीर त्रुटि की गई है।

सरकार को विधिवत आरक्षण लागू करने की दी सलाह

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में सौरभ यादव बनाम उत्तरप्रदेश राज्य, साधना दांगी वनाम मध्य प्रदेश राज्य सहित अन्य फैसलों को रेखांकित किया जाकर स्पष्ट किया कि आरक्षण नियमों को विधिवत लागू किया जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता रामनरेश कुशवाहा, सचिन बघेल, तपस्या कुतवारिया, तमिया खान, मुश्कान खान, दीपक जाटव, विकास सिंह को MBBS 2024-25 में प्रवेश दिया जाए।

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