New Criminal Laws: देश में आज से लागू हुए नए आपराधिक कानून, जानिए खास बातें
New Criminal Laws: भारत तीन नए आपराधिक कानूनों (New Criminal Laws) की शुरुआत के साथ अपने कानूनी ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव के लिए तैयार है। नए कानून पुराने औपनिवेशिक युग के कानूनों की जगह लेंगे जो आज यानि 1 जुलाई से लागू हो चुके हैं। इस खबर में हम आपको नए आपराधिक कानूनों से जुड़ी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
पिछले साल दिसंबर में संसद से हुए थे पारित
नए आपराधिक कानून को पिछले साल देश की संसद में पारित किया गया था। तब देश के गृह मंत्री अमित शाह ने इसे एक नए युग की शुरुआत बताया था। संसद में पारित भारतीय न्याय संहिता (Indian Justice Code), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Indian Civil Protection Code) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) क्रमशः भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code, 1980), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code, 1973) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act, 1872) की जगह लेंगे।
समकालीन समय और प्रचलित तकनीकों के अनुरूप तीन नए आपराधिक कानूनों में कई नए प्रावधान शामिल किए गए हैं। 1 जुलाई से अब जो भी एफआईआर दर्ज होगी वह नए कानूनों के अनुसार की दर्ज होंगी। पूर्व में आईपीसी में 511 धाराएं थीं, लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं ही हैं। इतना ही नहीं नए आपराधिक कानूनों में पूर्व की कई धाराओं का क्रम भी बदला गया है। नए कानूनों को लेकर देश के सभी राज्यों में अपने-अपने स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। नए कानूनों से नागरिकों को कई प्रकार के लाभ होंगे और कुछ नुकसान भी होंगे, जो इस प्रकार हैं...
नवीन कानूनी प्रक्रियाएं: जीरो एफआईआर जैसी सुविधाएं किसी भी पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज करने की अनुमति देती हैं, जिससे कानूनी कार्रवाई की शुरुआत सुव्यवस्थित होती है।
तकनीकी उन्नति: ऑनलाइन पुलिस शिकायत और इलेक्ट्रॉनिक समन सेवा का उद्देश्य कागजी कार्रवाई को कम करना और संचार को बढ़ाना है।
त्वरित न्यायिक प्रक्रियाएं: अब से 45 दिनों के भीतर मुकदमे के फैसले सुनाने और 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने की सख्त समय सीमा समय पर न्याय प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगी।
कमजोर समूहों के लिए सुरक्षा: नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए विशेष प्रावधान बनाए गए हैं। ऐसे मामलों में संवेदनशील तरीके से निपटना और त्वरित चिकित्सा जांच सुनिश्चित करना शामिल किया गया है।
विस्तारित पुलिस हिरासत: नए कानूनों के तहत पुलिस हिरासत की अधिकतम अवधि 15 दिनों से बढ़ाकर 60 से 90 दिन कर दी गई है। हालांकि, इस समय सीमा के इस विस्तार से पुलिस की ज्यादतियों और जबरन स्वीकारोक्ति के बढ़ते जोखिम के बारे में चिंताएं पैदा होती है, जो संभावित रूप से निष्पक्ष कानूनी कार्यवाही को कमजोर कर सकती है।
विवेकाधीन अभियोजन: पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बिना नए कानूनों या गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act) जैसे मौजूदा कानूनों के तहत मुकदमा चलाने के बीच चयन करने का व्यापक विवेक दिया गया है। यह विवेक असंगत आवेदन को जन्म दे सकता है और निष्पक्षता और जवाबदेही के बारे में सवाल उठा सकता है।
नए कानूनों को लेकर कितना तैयार है मध्य प्रदेश?
नए कानूनों के लागू होने से पहले ही मध्य प्रदेश में पुलिस कर्मियों को आवश्यक ट्रेनिंग दे दी गई है। प्रदेश के सभी 27,000 आईओ को तकनीकी रूप से सक्षम करने के लिए टैबलेट-फोन अभी तक विपरित नहीं किए गए हैं। इसके अलावा प्रदेश में बढ़ते महिला अपराधों की रोकथाम के लिए भी तैयारी न के बराबर है। प्रदेश में फिलहाल महिला आईओ पर्याप्त संख्या में ही नहीं हैं।
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