Nalanda University Inauguration: PM नरेंद्र मोदी ने जिस नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का किया उद्घाटन, जानिए वो क्या है खास?
Nalanda University Inauguration: लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद आज ( बुधवार, 19 जून 2024) पहली बार बिहार दौरे पर पहुंचे। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन किया। कैंपस के उद्घाटन से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्वविद्यालय का प्राचीन कैंपस भी देखा, जो अब ऐतिहासिक धरोहर में तब्दील हो चुका है। आखिर नालंदा विश्वविद्यालय की चर्चा चारों ओर क्यों होती है। यह देश-विदेश में क्यों मशहूर है, आइए जानते हैं...
नए कैंपस के उद्घाटन पर पीएम मोदी की बड़ी बातें
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य, एक मंत्र है, गौरव है और गाथा है। नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले ही जल जाएं, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं। ये नया कैंपस, विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा।"
शपथ के 10 दिन के अंदर मिला नालंदा आने का सौभाग्य
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "नालंदा से सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों की विरासत जुड़ी हुई है। मुझे तीसरे कार्यकाल की शपथ ग्रहण करने के बाद पहले पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का सौभाग्य मिला है। ये मेरा सौभाग्य तो है ही साथ ही मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं।"
नालंदा विश्वविद्यालय क्यों है खास?
पीएम नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन कर दिया है। नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय माना जाता है। करीब 800 साल पुराने इस विश्वविद्यालय के बारे में क्यों कहा जा रहा है कि यह अपने पुराने स्वरूप में लौट रहा है और इस विश्वविद्यालय की क्या खासियत है आइए जानते हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय में 300 कमरे, 9 मंजिला लाइब्रेरी
कई एकड़ में फैले नालंदा विश्वविद्यालय की भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें 300 कमरे और 7 बड़े हॉल थे। विश्वविद्यालय में 9 मंजिला लाइब्रेरी थी। लाइब्रेरी में 90 लाख से अधिक किताबें रखी गई थीं। कहते हैं जब आग लगाई गई तो लाइब्रेरी की किताबें 3 महीने तक लगातार जलती रहीं।
विश्वविद्यालय में शिष्यों को पढ़ाने आते थे ये महान गुरु
नालंदा विश्वविद्यालय की चर्चा आखिर सदियों से क्यों होती आ रही है। दरअसल इस विश्ववविद्यालय में एक से बढ़कर एक महान गुरु, शिष्यों को पढ़ाने आते थे। इन गुरुओं में नागार्जुन, शांतरक्षिता, आर्यदेव और बुद्धपालिता के नाम शामिल हैं। इस विश्वविद्यालय में कई देशों से लोग पढ़ने आते थे।
नालंदा विश्वविद्यालय में चीन के प्रसिद्ध यात्री और विद्वान ह्वेन सांग, फाह्यान और इत्सिंग ने भी पढ़ाई की। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार ह्वेनसांग, नालंदा के आचार्य शीलभद्र के शिष्य थे। ह्वेन सांग ने 6 साल तक नालंदा विश्वविद्यालय में कानून की शिक्षा ग्रहण की थी।
नए कैंपस में क्या है खास?
नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस (Speciality of Nalanda University) में 2 शैक्षणिक ब्लॉक है। इसमें 40 क्लासरूम है, एक क्लास में बैठने की क्षमता 40 है। कैंपस में 2 ऑडिटोरियम है, इसमें 300-300 सीटें हैं। नए विश्वविद्यालय कैंपस में 550 बेड हैं। एंफीथिएटर में 2000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। लाइब्रेरी में करीब 3 लाख किताबें हैं। इसके अलावा नए कैंपस में 1-1 खेल परिसर और मेडिकल सेंटर है।
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