Mohan Government Report Card: मोहन सरकार के 6 माह का रिपोर्ट कार्ड, घोटालों से दांव पर साख
Mohan Government Report Card: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की मोहन यादव सरकार (Mohan Yadav Government) ने अपने कार्यकाल के 6 माह पूरे कर लिए हैं। सरकार के शुरुआती 6 माह काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। एक ओर सरकार अपने कामों पर अपनी पीठ थपथपा रही है तो वहीं लगातार उजागर हो रहे घोटालों से उसकी साख दांव पर है। विरोधी सरकार को उसकी विफलता के लिए लगातार कोस रहे हैं और कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट तक ने लगाई फटकार
प्रदेश के मुखिया मोहन यादव अपने 6 महीने का रिपोर्ट कार्ड तो पेश कर दिया, लेकिन घोटालों के सवालों पर मौन रहे। मोहन यादव की सबसे बड़ी विफलता नर्सिंग घोटाले को लेकर सामने आई है। लगातार मिली शिकायतों के बावजूद सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। आखिकार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को इस मामले में दखल देना पड़ा। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए ठोक कदम उठाने के निर्देश दिए।
सीबीआई अधिकारियों की मिलीभगत से फिर हुई किरकिरी
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तो प्रदेश सीबीआई के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई। फिर आनन-फानन में दिल्ली सीबीआई ने इन अधिकारियों को बर्खास्त कर कार्रवाई की। वैसे प्रदेश सरकार इस मामले में अब तक ऐसी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है जिसके चलते उसकी साख बच सके।
शिवराज काल के घोटाले भी पडे़ मोहन सरकार पर भारी
प्रदेश में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के वक्त हुए पटवारी भर्ती घोटाले के चलते भी मोहन सरकार की साख खराब हुई। हैरानी की बात तो ये है कि मामले प्रकाश में आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। विरोधी सरकार पर आरोप लगा रहे कि वह प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए इस मामले में कार्रवाई करने से बच रही है।
इन घोटालों ने भी गिराई सरकार की साख
नर्सिंग घोटाला-
नर्सिंग घोटाले के तहत कॉलेजों से पैसे लेकर उन्हें फर्जी तरीकों से मान्यता दी गई। ज्यादातर नर्सिंग कॉलेज कागजों में ही संचालित होते पाए गए हैं। प्रदेश में ऐसे करीब 159 कॉलेज हैं जो जांच के दायरे में हैं।
पटवारी भर्ती परीक्षा-
पटवारी भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में हुआ था, लेकिन मोहन सरकार में अभी तक उसकी जांच रिपोर्ट नहीं आई।
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी घोटाला-
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय यानी आरजीपीवी यूनिवर्सिटी में भी बड़ा घोटाला सामने आया है। एक अनुमान के मुताबिक 20 करोड़ रुपए का घोटाला बताया जा रहा है।
दाल घोटाला-
दाल घोटाला के चलते भी सरकार सवालों के घेरे में है। गरीबों को दी जाने वाली दाल फर्जी नंबर डालकर अपात्र और जानकार लोगों तक पहुंचाई गई।
नियुक्ति घोटाला-
नगर परिषदों/पंचायतों में प्रभावशाली लोगों ने अपने रिश्तेदारों को ही नौकरियां दिलवा दी। मामला उजागर हुआ तब भी सरकार मूकदर्शक बनी रही।
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